Aunty Nephew Home Sex – चाची को पूरे प्यार के साथ चोदा
Aunty Nephew Home Sex
बात तब की है जब मैं कॉलेज पास कर के गांव में अपने चाचा चाची के पास कुछ दिन की छुट्टियां मनाने आया था. मेरी चाची शीला बहुत ही हँसमुख है, हमेशा मुस्कुराते रहती थी और मेरे चाचा का उतना ही रूड नेचर था. इसलिए मेरी और शीला चाची की बहुत पटने लगी. हम आपस में खूब मज़ाक करते. धीरे धीरे मैं कब शीला चाची की ओर आकर्षित होने लगा मुझे पता भी नहीं चला. Aunty Nephew Home Sex
मुझे शीला चाची की खुश्बू बहुत अच्छि लगने लगी थी. जब कभी भी वो मेरे पास से गुजरती मैं गहरी सांस ले लेता. एक दिन शीला चाची नहा के निकली और मेरा बाथरूम में जाना हुआ पूरा बाथरूम चाची की खुश्बू से महक रहा था मेरे शरीर मे एक अजीब से सरसराहट दौड़ गई.
अचानक मैने बाथरूम में पड़े शीला चाची के कपड़े देखे मेरा मन मचल गया मैने बिना देर किए उन्हे उठाया और मूह में रख कर एक गहरी सांस ली आ..आ..आ….मेरे पूरे शरीर मे एक लहर दौड़ गई. कपड़े लिपटे हुए थे मैने खोला तो देखा शीला चाची की गाउन के अंदर उनकी ब्रा और पेंटी थी. सबसे पहले मैने ब्रा को उठाया और जी भर के देखा ये वोही ब्रा थी जो कुच्छ देर पहले शीला चाची के बूब्स से चिपकी हुई थी.
मैं ब्रा को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगा जैसे मानो वो मेरे शीला चाची के बूब्स हों काफ़ी देर तक चूसने के बाद मैने शीला चाची की पेंटी उठाई और अपनी शीला चाची की चूत समझ उसको सहलाने लगा और अपने होठों से चूमने लगा। यही पर चिपकी होगी शीला चाची की चूत उनके झाट के बाल ये सोच सोच कर मेरा लंड तन कर मेरी चड्डी फाड़ने लगा.
तभी मुझे ख़याल आया कि इसे अभी शीला चाची की चूत तो नहीं दिला सकता लेकिन अहसास तो दिला सकता हूँ मैने फटाफट अपनी चड्डी उतार कर शीला चाची की पेंटी पहन ली. ये सोच कर कि “जहाँ थोड़ी देर पहले ये शीला चाची की चूत से चिपकी थी अब मेरे से चिपकी है जहाँ शीला चाची की चूत थी वहाँ अब मेरा लंड है” यही सोचते सोचते मेरा हाथ मेरे लंड पर चलने लगा और थोड़ी ही देर में मैने मैने पिचकारी छोड़ दी.
शीला चाची की पूरी पॅंटी मेरे वीर्य से भर गई मैने जल्दी से उसे अपने रूमाल से पूछा। और बाहर आ गया और सोचने लगा कल शीला चाची यही पॅंटी पहनेंगी,कितना अच्च्छा लगेगा. अब शीला चाची को मैं और ध्यान से देखने लगा वाकई बहुत सुन्दर शरीर है मेरी शीला चाची का एकदम भरे और कसे हुए बूब्स,भारी सी गांड़,कसा हुआ शरीर.
मुझमे अब उसे पाने की ललक जाग गई. मैं दिनभर शीला चाची को ताकता रहता। वो जब झाड़ू लगाती, पोछा लगाती, खाना परोसती,वो मुझे अपने आधे स्तनों के दर्शन करा देती. गर्मी के दिन चल रहे थे इसलिए शीला चाची पतले कपड़े पहनती थी,इसलिए मैं शीला चाची के अंदर का शरीर काफ़ी कुछ देख लेता था.
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खाना बनाते समय पीछे खिड़की से रोशनी आती थी जिसकी वजह से मैं शीला चाची के पूरे शरीर के एक एक उभारों को आसानी से देख सकता था. बस यही देख देख के रात मैं शीला चाची की कल्पना कर के रातें गीली किया करता था. चाचा ने पास के ही गांव में टेलर की दुकान कर रखी थी। कभी नाइट शिफ्ट तो कभी दिन में दुकान ज्यादातर खोल लेते थे।
एक दिन चाचा जी दिन में दुकान गए हुए थे। उसी समय शीला चाची नहाने गई. मेरा तो नसीब खुल गया. मैं धीरे से बाथरूम के करीब गया और कोई सुराख ढूँढने लगा। आख़िर एक सुराग मिल ही गया. मैने जैसे ही उससे झाँका मेरे नसीब खुल गये शीला चाची झुक कर अपनी पेंटी उतार रही थी. बाथरूम थोड़ा छोटा था इसलिए मुझे शीला चाची के बूब्स काफ़ी नज़दीक से दिखाई दिए. एकदम कसे हुए थे। कड़क वाह।।।
फिर जैसे ही शीला चाची सीधी हुई तो मुझे शीला चाची के चूत के बालों के दर्शन हुए पर कुच्छ ही देर के लिए हल्के हल्के बालों के बीच उभरी हुई उनकी मस्त जन्नत सी चूत, मैं तो पागल ही हो गया. शीला चाची बैठ गयी और नहाना शुरू कर दिया. लेकिन बाथरूम छोटा होने की वजह से मुझे अब सिर्फ़ उनकी पीठ दिखाई दे रही थी.
फिर भी मैने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी सोचा कभी तो पलटेंगी, कुछ तो दिखेगा. और मेरा सय्यम काम आया कुछ देर मे मुझे चाची के बूब्स के दर्शन हो ही गए। परफेक्ट साइज के बूब्स थे। और एकदम गोरे गोरे । फिर नहाना ख़तम कर शीला चाची खड़ी हुई तो मुझे उनकी गांड के झांट के फिर दर्शन हुए उन्होने अपना पूरा शरीर पोंछा और फिर अपनी झांटे फिर कपड़े पहने पहले ब्रा फिर पेंटी.
फिर गाउन मैं भाग कर अपनी जगह पर बैठ गया. लेकिन वो नज़ारा अब मेरी आँखों से हट नहीं रहा था. फिर भगवान को मेरे पर तरस आया. एक बार शीला चाची खाना खाने के बाद घूमने जाने के लिए कहने लगी, चाचा ने कहा मैं तो दिन भर का थका हूँ मैं नहीं जाउन्गा चाची ने कहा लक्की आप ही चलो. मैं तो खुश हो गया।
पर मैने कहा चाची छत पर टहलेंगे शीला चाची ने कहा क्यों मैंने कहा सड़क पर और लोग भी घूम रहे होंगे। चाची ने कहा तो ? मैंने कहा– मतलब मोहल्ले के लड़के वगिरह, वो आपको देखेंगे तो मुझे अच्च्छा नहीं लगेगा शीला चाची – बड़ा ख़याल है मेरा। मैं – क्यों नहीं होगा चाची। फिर हम छत पर घूमने लगे. उस दिन के बाद हम दोनो खाना खाने के बाद छत पर टहलने जाते थे.
घूमते घूमते कई बार मेरा हाथ शीला चाची के हाथ से टच हो जाता तो शीला चाची थोड़ा दूर चलने लगती, लेकिन कुच्छ कहती नहीं बल्कि कुच्छ देर के लिए थोड़ा चुप हो जाती. जब हम मुंडेर पर जा कर थोड़ी देर को खड़े होते तो उनके जितने करीब खड़ा हो सकूँ हो जाता. यही सब कई दिनों तक चलता रहा. एक दिन जब रोज़ की तरह हम मुंडेर पर खड़े हो कर बातें कर रहे थे तो मैने धीरे से उनके पेट पर हाथ लगा दिया शीला चाची फिर भी कुच्छ नहीं बोली, बस मेरी तरफ देखा और थोड़ी दूर हो गयी.
मैने सोचा नाराज़ हो गई, लेकिन जब दूसरे दिन भी उन्होने घूमने को कहा तो मैं समझ गया कि ये..लो.. सिग्नल मिल चुका है. फिर तो उस दिन मैं घूमते घूमते शीला चाची से खूब टकराया. कभी हाथ कभी पूरा शरीर ही उनसे टच करता रहा. वो रोज़ की तरह बस थोडा दूर हो जाती. दो तीन दिन यही चला अब मैने सोचा कुच्छ आगे बढ़ना चाहिए.
दूसरे दिन, जब दिन का खाना देने के बाद चाची बेड पर बैठ कर टी.वी. देखने लगी, मैं भी खाना खाने के बाद उसी बेड पर लेट गया लगभग शीला चाची के पास और सोने का बहाना करने लगा थोड़ी देर बाद मैं खिसक कर और लगभग उनसे चिपक ही गया.
शीला चाची बोली – क्या हुआ? नींद नहीं आ रही क्या?
मैं – हूँ…तकिये मैं घुस के सोने की आदत है ना इसलिए थोड़ा आपके पास घुस गया.
शीला चाची– अच्छे से सो जाओ तुम.
मैं – आपकी गोदी में सिर रख लूँ चाची?
शीला चाची – रख लो लेकिन सिर्फ़ सिर ही रखना हस कर बोली.
मैं -मतलब?
शीला चाची – कुच्छ नहीं सो जाओ चुप चाप।
मैं थोड़ी देर लेटा रहा पर उनकी खुश्बू मुझे जितना सुकून दे रही थी उतना ही उत्तेजित भी कर रही. मैं धीरे से उनसे और चिपक गया अब मेरा मूह शीला चाची के पेट से चिपका था और शीला चाची के बूब्स मेरे इतना करीब थे कि मैं अगर अपना मूह थोड़ा सा भी उपर करूँ तो शायद वो मुझसे टच हो जाते. “Aunty Nephew Home Sex”
मेरी साँसें गर्म हो चुकी थी और मैं उसे जान बूझ कर शीला चाची के बूब्स के पास ‘जहाँ ब्रा ख़तम होती है’ वहा छोड़ रहा था. चाची की साँसें भी तेज हो रही थी. तभी मैने अपना आपा खो दिया और अपना एक हाथ शीला चाची की कमर पे कस कर और चिपक गया और ब्रा के नीचे वाले हिस्से से टच हो गया. चाची को मानो एकदम करंट लग गया हो. उन्होने तुरंत मुझे हटा दिया.
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मैं – क्या हुआ?
शीला चाची– चलो उठो.
मैं- क्या हुआ.
शीला चाची – ये क्या कर रहे थे?
मैं – कुछ नहीं,मुझे आपकी खुश्बू बहोत अच्छि लगती है. वो ही सूंघ रहा था.
चाची बोली चलो अब जाओ. हमने कहा था ना सिर्फ़ सोना. पर मुझे पता नहीं कौन सा भूत सवार था मैने उठते उठते चाची को एक पप्पी कर दी. चाची सुन्न हो के मुझे बस देखती रही और कुच्छ नहीं बोली. मुझे लगा मैने ये क्या कर दिया. मैं उठा और अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला गया. “Aunty Nephew Home Sex”
रात को मैं जब घर लौट के आया तो बड़ा डरा हुआ था. चाची ने मुझे खाना दिया मैं खाना खा के अपने बिस्तर पर लेट गया. चाचा के सोने के थोड़ी देर बाद शीला चाची आई और मेरे पैर की साइड जो सोफा लगा था उसमे बैठ गई. मैने उनको देख कर थोडा मुस्कुरा दिया.
चाची – आज घूमने नहीं चलोगे?
मैं – मैने सोचा लेट हो गये.
चाची– लेट हो गये या कोई और बात है.
मैं – और क्या बात.
चाची – दिन की, अच्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया।
मैं – बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था.
चाची– खूशबू, ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से.
मैं – पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता हु।
चाची– अभी भी आ रही है क्या? इधर आओ…. और मैने झट से पलट कर अपना मूह चाची की ओर कर लिया.
चाची ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा. सचमुच मै आपको इतनी अच्छी लगती हूँ. मैने मौके की नज़ाकत समझ कर चाची की गोद में सर रख दिया. और अपने मूह को चाची की जांघों में रगड़ने लगा. शीला चाची– अच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है। “Aunty Nephew Home Sex”
मैं – रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना.
चाची– तो प्यार तो हम करते ही हैं। हस कर बोली।
मैं – बस फिर प्यार में जो होता है होने दो.
कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए शीला चाची की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक चाची ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंडी ना में हिलाने लगी. चाची की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी. मैं समझ गया कि चाची को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गया.
मैने तुरंत अपना चेहरा चाची के बूब्स के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा चाची ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली हो.
अब मैने धीरे धीरे शीला चाची के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क बूब्स थे चाची के) रगड़ते रगड़ते मैं चाची की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे चाची के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा मेरा एक हाथ चाची के स्तनों को सहला रहा था. जी भर के होंठों का रस पीने के बाद अब बूब्स को पीने की बारी थी. “Aunty Nephew Home Sex”
मैं धीरे से नीचे आया और चाची के सलवार के गले से अंदर घुसने लगा. लेकिन चाची के आधे बूब्स तक ही पहुँच पाया. फिर मैने चाची का सूट उठाया और चाची के पेट को चूमते हुए शीला चाची के बूब्स तक पहुँच गया पर चाची ने ब्रा पहन रखी थी. मैने अपने दोनो अंगूठे चाची की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर चाची ने मुझे रोक दिया और कहा.
शीला चाची – अभी नहीं लक्की… ये उठ जाएँगे.
मैं – फिर कब.
शीला चाची – कल जब ये दुकान चले जाएँगे.
और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई. सुबह मैं लेट ही उठा जब तक चाचा के दुकान जाने का टाइम हो चुक्का था. जब तक मैं नहा के तय्यार हो गया. चाचा के दुकान जाते ही मैने शीला चाची को पीछे से पकड़ लिया और चूमने करने लगा.
चाची – लगता है सब्र नहीं हो रहा.
मैं – कैसे होये सब्र, चलो ना.
चाची – पहले खाना खा लो.
मैं – नहीं बाद में.
चाची – खा लो ताक़त आएगी और जा कर मेरे लिए खाना ले आई. जब तक मैने खाना खाया चाची बेड पर लेट कर टी.वी. देखने लगी. मैं खाना ख़तम कर के सीधे चाची के बगल में लेट गया और चाची को अपनी बाहों में भर कर चूमने करने लगा. चाची ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं चाची को चूमते चूमते उनके बूब्स पर आ गया.
चाची ने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही बूब्स को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने चाची के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए, एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब चाची मेरे सामने ब्रा में थी. चाची की ब्रा के अंदर शीला चाची के मस्त बूब्स एक दम कसे हुए थे.
ब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही चाची के बूब्स पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए, हुक खुलते ही दोनो बूब्स आज़ाद हो गये. ब्रा को हटते ही मेरे सामने चाची के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम टाइट ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे.
मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लिया और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा. अब तक चाची का हाथ मेरे सिर पर फिरने लगा था.बीच बीच में चाची मेरे सिर को अपने बूब्स पर दबा रही थी जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. मैं एक एक कर दोनो बूब्स को पी रहा था कभी दोनो बूब्स को मिलाता और दोनो निप्पालों को एक साथ मूह में डाल लेता (ये मेरी स्टाइल है) और दोनो निप्प्लो को एक साथ चूस्ता. “Aunty Nephew Home Sex”
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चाची के मूह से सिसकी निकल जाती. काफ़ी देर दूध पीने के बाद मैं धीरे से चाची के पेट को चूमने लगा. पेट में किस करते करते एक हाथ से मैं चाची की साड़ी उपर करता जा रहा था. थोड़ी देर में चाची की चिकनी और कसी हुई जांघें मुझे दिखने लगी. अब मैने शीला चाची की जांघों को चाटना शुरू कर दिया. चाटते चाटते मुझे चाची की पॅंटी दिखाई दे रही थी.
शीला चाची ने UAUA Brand की रेड क्रॉस कलर की पॅंटी पहन रखी थी. अब मैं और चाची 69 के आंगल में आ गये थे. मैने पॅंटी के उपर से ही चाची की चूत के ऊपर मूह रख दिया. चूत को टच करते ही शीला चाची एकदम से उचक गयी चाची की इन अदाओं से मेरा जोश बढ़ता ही जा रहा था. मैने चाची की चूत की दरार में पेंटी के ऊपर से ही एक उंगली फेरनी शुरू कर दी.
चाची का बदन अब अकड़ने लगा था. मैने मूह से ही चाची की पेंटी को सरकाना शुरू कर दिया और दोनो हाथो से चाची की जांघों को सहलाता जा रहा था. चाची के हाथ भी मेरी जांघों पर चल रहे थे. पेंटी के थोड़ा नीचे सररकते ही चाची की झांटे दिखने लगी मैं उनके साथ मूह और नाक से खेलने लगा फिर धीरे से और पेंटी सरकाई अब चाची की चूत की दरार मुझे सॉफ दिखाई देने लगी थी। मैने अपनी जीभ चाची की दरार में चलानी शुरू कर दी.
शीला चाची अपने टाँगों को चिपकाने की कोशिश करने लगी पर मैने दोनो हाथो से उसे फैला दिया और अपनी जीभ शीला चाची की चूत में अंदर बाहर करने लगा. मैं पागलों के समान चाची की चूत को चाटने लगी। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैने चाची की चूत को पेंटी से आज़ाद कर दिया. “Aunty Nephew Home Sex”
ओूऊऊऊऊऊओ क्या नज़ारा था शीला चाची की उभरी हुई चूत उसमे हल्के हल्के बाल, एकदम कसी हुई चूत थी चाची की मैने तुरंत अपनी जीभ से चाची की चूत को चाटना शुरू कर दिया. चाची की चूत एकदम गीली हो चुकी थी शायद शीला चाची ने पानी छोड़ दिया था. चूत पर जीभ लगते ही भाभी फिर उचकी लेकिन इस बार उनका हाथ मेरे लंड पर चला गया.
मेरा लंड पहले ही पेंट को टेंट बना चुका था. चाची ने उसे पूरी ताक़त से दबा कर पकड़ लिया. मेरा जोश और बढ़ गया मैने अपनी जीभ चाची की चूत के अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा. कभी चाची के दाने को मूह में लेकर चूस्ता कभी उसे जीभ से हिलाता. चाची भी अपने को रोक नहीं पा रही अब उनका हाथ मेरे लंड पर चलने लगा.
मेरा पूरा ध्यान अब वही था, चाची पहले पेंट के ऊपर से हल्के हाथो से मेरे लंड की लंबाई मोटाई माप रही थी फिर चाची ने मेरी चैन खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया था और उसे धीरे धीरे हल्के हाथो से सहला रही थी. मैने अपनी कमर थोड़ी और आगे कर दी ताकि चाची उसे मूह में ले सके.
चाची ने मेरा इशारा समझ लिया और मेरे लंड पर अपने होंठ फेरने लेगी,पहले दो तीन किस की और फिर बड़े ही प्यार से मूह में लेकर चूसने लगी.मैं तो स्वर्ग की सैर कर रहा था. मैं भी चाची की चूत को मूह में भर कर चूसने लगा मैने देखा ऐसा करने पर शीला चाची की चूत थोड़ी फूल गयी थी. और गर्म भी हो रही थी।
वाह क्या सीन था मेरी चाची मेरे सामने नंगी पड़ी मेरा लंड मूह में ली हुई थी. मैने चाची के मूह में ही झटके देने शुरू कर दिए. यहाँ चाची की चूत भी मेरे लंड के स्वागत के लिए तय्यार हो चुकी थी. चाची का नमकीन रस मेरे मूह में आ रहा था. मैने पोज़िशन चेंज की और असली मज़ा लेने को तय्यार हो गया. पर चाची मना करने लगी. “Aunty Nephew Home Sex”
शीला चाची – प्लीज़ ये मत करो.
मैं –क्यों.
चाची – नहीं ये सही नहीं है, हम दोनो का रिश्ता…
मैं – अब हमारा रिश्ता प्यार का है प्यार में सब सही होता है, और आज से इसे कुछ भी नाम दे दो.
चाची– नहीं पर प्लीज़ इसे मत डालो. बाकी जो करना हो करो.
मैं – जब जीभ जा सकती है, उंगली जा सकती है तो ये क्यों नहीं चाची.
शीला चाची– नहीं, कुछ हो गया तो.
मैं – मैं कॉंडम लगा लेता हूँ.
चाची– पूरी तय्यारी से आए हो.
मैं – (हंस दिया).
चाची – नहीं कॉंडम मत लगाओ. अच्छा नहीं लगता.
मैं – सच मेरे को भी अच्छा नहीं लगता. जब तक स्किन से स्किन टच ना हो तो क्या मतलब. रगड़ने में ही तो मजा है।
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चाची हंस दी मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया. मैने तुरंत चाची के पैर फैलाए और और अपना सूपड़ा शीला चाची की चूत के ऊपर घिसने लगा. चाची ने अपने दो हाथ पीछे कर तकिया पकड़ लिया. मैं समझ गया शीला चाची तय्यार हैं. मैने धीरे से लंड शीला चाची की चूत में सरकाना चाहा पर चाची की चूत तो एकदम टाइट थी जैसे किसी 18 साल की लड़की की. “Aunty Nephew Home Sex”
मैने थोड़ा ज़ोर लगा के अंदर डाला चाची के मूह से आह निकल गई. मुझे भी ऐसा लगा मानो मेरा लंड जाकड़ गया हो. चाची अंदर से गरम भट्टी हो रही थी. मैने चाची के उपर आते हुए पूरा लंड चाची की चूत के अंदर कर दिया. चाची तड़प उठी मुझे अपनी बाहों में कस कर पकड़ा और मेरे होंठों को चूसने लगी.
अब तक में और चाची दोनो पसीने से नहा चुके थे. झटके देते समय दोनो की छातियो के बीच से फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थी. दोनो जन्नत में थे. मैं शीला चाची के ऊपर पूरा लेट गया और पूरी ताक़त से दोनो दूधों को पकड़ कर मिला दिया और दोनो निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा. चाची के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो मुझे कस कर नोच रही थी. मैने झटके और तेज़ कर दिए फिर थोड़ी ही देर में दोनो झड़ गये लेकिन शीला चाची फिर भी मुझे चूमती रही.
मैने पूछा – अच्च्छा लगा.
चाची– बहुत, ये सब करने में इतना मज़ा आता है मुझे आज पता चला.
मैं – सच आपको अच्छा लगा.
चाची – बहुत ज़्यादा (इतने में मैं थोड़ा हिला तो चाची बोली) अभी बाहर मत आना.
मैने भी अपने लंड को अंदर ही डाले रखा और चाची के होंठ चूसने लगा. चाची भी मेरा साथ देने लगी, अब चाची भी थोड़ा खुल गयी थी उन्होने मेरा सिर पकड़ा और नीचे की तरफ धकेल दिया मैं समझ गया चाची मुझे दूध पीने को बोल रही है मैने तुरंत दोनो हाथो से बूब्स को मिलाया और फिर दोनो निप्पालों को मूह में डालकर एक साथ पीने लगा, शीला चाची के मूह से सिसकियाँ निकलने लगी. “Aunty Nephew Home Sex”
चाची – कहाँ से सीखा ये.
मैं – अभी अभी.
चाची – मतलब.
मैं – चाची आपके बूब्स इतने सुन्दर है कि मैं सोचता हूँ एक को भी थोड़ी देर ना छोड़ू.
चाची – अच्छा ऐसा क्या स्पेशल है इनमे.
मैं – मत पूच्छो चाची, क्या नहीं है इतने सुंदर कसे हुए आपके बूब्स के निपल, जी करता है दिन भर इन्हे ऐसे ही मूह में लिए पीता रहूं.
चाची – तो पियो ना मना किसने किया है.
मैं – सच.
चाची – हां आपका हाथ लगते ही ये और सुंदर हो गये है. आप इन्हे जिस तरह पीते हो मैं तो……
मैं – मैं तो क्या ?
चाची – मैं तो दीवानी हो गई आपकी, बहुत प्यार से पीते हो आप इन्हे.
मैं – तो क्या चाचा …….
चाची – हुउँ उन्हे तो एक चीज़ से मतलब रहता है, और सच कहूँ वो जब मुझे हाथ लगाते है तो मैं ऐक्साइट भी नहीं होती, लेकिन आज जब आपने मुझे छुआ तो एक अजीब सा एहसास हुआ मैं तो आपके हाथ लगाते ही गीली हो गयी थी.
मैं – गीली मतलब.
चाची – चुप हो जाओ, बड़े आए गीली मतलब.
ये कहते हुए चाची ने मुझे कस कर पकड़ लिया और चूमने लगी, मैं भी चाची के निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा. इन बातों को करते हुए हम फिर गरम हो गये और मेरा लंड फिर से शीला चाची की चूत के अंदर ही अंदर फिर बड़ा हो गया. मैने धीरे धीरे फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए और चाची मुझे कस कर पकड़ कर मेरा साथ देने लगी. “Aunty Nephew Home Sex”
अब चाची भी नीचे से अपनी गांड गोल गोल घुमाने लगी. मैने एक हाथ नीचे कर अंगूठे से चाची के चूत के दाने (clitorius) को सहलाते हुए लंड आगे पीछे करने लगा. चाची और तेज़ी से आगे पीछे होने लगी. मैने चाची से कहा आप मेरे ऊपर आ जाओ. चाची ने वैसा ही किया. अब शीला चाची मेरे ऊपर बैठ कर अपने हिसाब से मज़े लेने लगी.
और थोड़ी देर बाद थक कर मेरे ऊपर लेट गई मैने फिर चाची के बूब्स को अपने मुँह में लिया और नीच्चे से धक्के देना शुरू कर दिया, अब चाची दोनो पैर सीधे कर मेरे ऊपर लेट गई और हम आपस में एक दूसरे को घिसने लगे. मैने दोनो हाथ से चाची की गांद को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.
मेरा सपोर्ट पा चाची खुश हो गयी और फिर मुझे पागलों समान चूमने लगी, मैने समझ गया कि शायद शीला चाची झड़ने वाली हैं, मैने धक्के और तेज कर दिए और थोड़ी ही देर में हम दोनो फिर झाड़ गये और ढेर हो गये. थोड़ी देर बाद चाची मेरे ऊपर से हटी और ओढ़ने के लिए चादर ढूँढने लगी.
मैं – चादर मत ओढ़ो.
चाची – क्यों अभी मंन नहीं भरा क्या.
मैं – आपसे कभी मंन भर सकता है क्या, इतनी तपस्या के बाद तो आप मिली हो मुझे जी भर कर देखने दो.
उसके बाद मैने शीला चाची को सीधा लेटा दिया और पूरे शरीर के एक एक उभार को देखने, महसूस करने लगा. चाची के दोनो बूब्स पूरे गोल और कसे हुए सीधे आसमान की तरफ देख रहे थे, मानो किसी मस्जिद के गुंबद हों जैसे. मैं बड़े ही हल्के हाथ से दोनो स्तनों के चारों ओर हाथ घुमाने लगा और महसूस करने लगा. फिर धीरे से निपल के ऊपर हाथ ले जाकर उसे उंगली से धीरे धीरे रगड़ने लगा. “Aunty Nephew Home Sex”
शीला चाची – आपके हाथो में जादू है पूरा शरीर तय्यार हो जाता है.
मैं – ये जादू नहीं प्यार है, जो आप महसूस कर रहे हो.
शीला चाची – पहले क्यों नहीं मिले तुम मुझे?
मैं – जब मिले तब ही सही, अब मिल गए ना।
बातें करते करते मै शीला चाची के पूरे शरीर को नाप रहा था. उनके पेट,कमर, गांड,नाभि, स्तन,जांघें, गर्दन, हर एक भाग हर एक कटाव पर बड़े ही हल्के हल्के हाथ फिरा रहा था और उन्हे महसूस कर रहा था.
शीला चाची – मत करो मैं फिर तय्यार हो जाउन्गि.
मैं – तो हो जाओ ना (ये कहते हुए मैने चाची का हाथ नीच अपने लंड पर ले गया शीला चाची ने फिर उसे कस के पकड़ लिया और एक गहरी साँस ली).
चाची – ये तो फिर तय्यार हो गया कितना गरम और खड़ा हो गया है.
मैं – ये भी तो गरम हो रही है. (मैने भी नीचे हाथ डाल कर शीला चाची की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.)
चाची – ये शैतानी करता है ना इसलिए (चाची मेरे लंड को हिलाते हुए बोली).
मैं – इसे इनको देखकर मस्ती चढ़ती है. हमेशा मुझे घूरते रहते है. (मैने चाची के एक स्तन को दबाते हुए कहा).
चाची – ये आपको घूरते है कि आप. हमेशा यहीं नज़रें टिकी रहती है.
मैं – आपको कैसे पता.
चाची – मुझे देखोगे तो मुझे पता नहीं चलेगा क्या. मैने बहुत बार आपको इन्हे घूरते हुए देखा है,और उन नज़रों का ही जादू है जो मैं आज आपके साथ ऐसे हूँ.
मैं – तो फिर इतने दिन परेशान क्यों किया.
शीला चाची – मैने कहाँ परेशान किया आप ही ने देर लगाई.
मैं – मुझे इतना परेशान किया अब मैं पूरा हिसाब लूँगा (ये कहते हुए मैं शीला चाची के ऊपर फिर से चढ़ गया और लंड अंदर डालने की कोशिश करने लगा).
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चाची – किसी काम का नहीं छोड़ोगे क्या आज?
मैं – थक गयी क्या चाची?
चाची – थॅकी? आज तो पूरा शरीर लॉक हो गया. कब से प्यासी थी प्यार की.
मैं – मैं तो आपको जब से प्यार कर रहा हूँ आप ने मुझे कहाँ किया.
चाची – अच्छा तो अभी तक क्या कर रही थी.
मैं – वो तो मेरे प्यार का जवाब दे रही थी.
शीला चाची – तो मैं अलग से कैसे प्यार करूँ.
मैं – वो आप सोचो!
फिर शीला चाची ने मुझे कस के गले लगा लिया और अपने ऊपर से उतार कर बगल में लेटा दिया और चूमने लगी पहले गालों को फिर छाती पर फिर नीचे सरकते हुए मेरे लंड तक पहुँच गई अब मेरा लंड शीला चाची के दोनो स्तनों के बीच में था और चाची अपने दोनो हाथो से अपने स्तनों को चिपका कर मेरे लंड को बीच में रख कर आगे पीछे करने लगी. फिर मेरे सुपडे के ऊपर चारों तरफ अपनी जीभ चलाने लगी बीच बीच में दाँत भी गढ़ा रही थी। आखिरकार में शीला चाची ने मेरे लैंड को अपने मुंह में ही झाड़ लिया और सारा वीर्य पी गई।