Sasur Bahu Antarvasna – ससुर करवा चौथ पर बहु को धका धक पेलने लगे
Sasur Bahu Antarvasna
मेरा नाम लतिका है। मैं प्रयागराज की रहने वाली हूँ। मेरी शादी हो चुकी है। मैं अपने ससुर के साथ अकेली रहती हूँ। मेरे पति कोलकाता में नौकरी करते है। वो 2 3 महीने में एक बार ही घर आते है। जब भी आते है मुझे बहुत प्यार करते है। मेरे ससुर जी भी बहुत अच्छे है। मेरे देवर की नौकरी कानपुर में लग गयी है। पहले वो हमारे साथ ही प्रयागराज में रहता था पर नौकरी लगने के बाद वो चला गया। Sasur Bahu Antarvasna
अब घर में मैं और ससुर जी है। मैं आप लोगो को अपने बारे में बताना चाहती हूँ। मैं 35 साल की जवान और सेक्सी औरत हूँ। अभी मेरे बच्चे नही हुए है। मैं सुंदर और जवान हूँ और आकर्षक व्यक्तित्व वाली औरत हूँ। मेरा कद 5’ 4” का है। जिस्म भरा हुआ है। मैं काफी गोरी हूँ और चेहरा का फेस कट बहुत सेक्सी है।
मेरी जवानी देखकर मर्दों के लंड खड़े हो जाते है। मन ही मन वो मुझे चोद लेना चाहते है पर ये मौका तो कुछ लोगो को ही मिला है। मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है। मेरे पति मेरे 38” के मम्मो को दबा दबा कर मेरी चूत मारते है। मेरा फिगर 38 32 36 का है। मुझे अपनी चूचियां दबवाने में बहुत अच्छा लगता है।
जब कभी पराये मर्द के साथ चुदाई करने का मौक़ा मिलता है तो मैं चुदवा लेती हूँ। “खाओ खुजाओ और बत्ती बुजाओ” वाले कांसेप्ट में मैं विश्वास करती हूँ। 2 दिन पहले की बात है मेरी बात मेरे पति से हुई थी।
“जान!! क्या तुम करवाचौथ पर घर नही आ रहे हो?? हर बार तुम करवाचौथ पर नही आते हो। देखो ये बुरी बात है। मैं किसके साथ पूजा करुँगी” मैंने अपने पति ऋतुराज से पूछा।
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फिर से उसने बहाना बना दिया। “देखो मैं अपने बोंस से बात करूंगा और छुट्टी मागूंगा। अगर मिलती है तो आ जाऊँगा” ऋतुराज बोला.
असल में कुछ महीनो से उसका उसकी सेक्रेटरी से चक्कर चल रहा था। ऋतुराज कोलकाता की एक फर्म में चार्टर अकाउंटेंट था। वो बस पैसे के पीछे भागने वाला मर्द था और खूबसूरत और जवान लडकियों को देखकर फिसल जाता था।
मुझे कुछ दिन पहले उसके ऑफिस से किसी ने बताया था की ऋतुराज का उसकी सेक्रेटरी से अफेयर चल रहा है और दोनों ऑफिस में ही मजे लूट लेते है। ये बात जानकर मैं काफी दुखी हो गयी थी। आखिर 2 दिन बाद करवाचौथ का त्यौहार आ गया और ऋतुराज नही आया।
“पापा जी!! वो नही आये” मैंने कहा और रोने लगी.
मेरे ससुर बहुत अच्छे आदमी थे। मेरा पति बहुत नालायक था पर ससुर जी बहुत अच्छे थे। मेरी बहुत देखभाल करते थे। उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया। मैं फूट फूट कर रोने लगी।
“रो मत मेरी बच्ची!! रो मत!! मेरा बेटा इतना नालायक निकलेगा मुझे नही मालुम था” वो बोले और मेरे सिर पर बड़े प्यार से हाथ फिराने लगे।
“पापा जी!! अब मैं पूजा किसकी करूं। देखो चाँद भी निकल आया है” मैंने आशुं बहाते हुए पूछा.
“बहू! चलो तुम मेरे साथ पूजा कर लो” ससुर जी बोले।
उनको मैं हमेशा पापा जी कहकर बुलाती थी. फिर वो भी नये कपड़े पहनकर छत पर आ गये। मैंने अपनी सुहाग वाली साड़ी पहनी थी जब मेरी शादी हुई थी। मैंने चाँद को देखकर पूजा की फिर ससुर जी को छन्नी में देखा। फिर किसी बीबी की तरह मुझे अपने पति के पैर छूने थे। पति तो थे नही मैंने झुककर ससुर जी के पैर छू लिए।
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वो अच्छे मूड में दिख रहे थे। उन्होंने ही मुझे पानी पिलाकर मेरा व्रत तुड़वाया। आज ससुर जी से सुबह से कुछ नही खाया था क्यूंकि मेरे साथ वो भी व्रत थे। हम दोनों नीचे चले गये। मैंने उनको अपने हाथ से खाना खिलाने लगी। मैं पूरी तरह से नवविवाहिता दुल्हन लग रही थी। हाथो और पैरों में मैंने मेहँदी लगा रखी थी। रात के 10 बजे हुए थे।
घर में सन्नाटा था। सिर्फ 2 लोग घर में थे इसलिए थोडा अजीब लग रहा था। ससुर जी बार बार मेरे दूध की तरफ देख रहे थे। मैं बाही खुला वाला कट स्लीव ब्लाउस पहना था और ब्लाउस भी आगे से गहरा था। मेरी 38” की गोल गोल चूचियां साफ साफ़ दिख रही थी। ससुर जी मेरे मम्मो की तरफ ताड़ रहे थे और जैसे मैं उसकी तरह देखने लग जाती वो नजरे दूसरी तरफ घुमा लेते।
मैं सुंदर और जवान औरत थी। आखिर वो क्यों नही मेरी जवानी देखते। फिर मैंने सोचा की आज ससुर जी भी पूरा दिन व्रत रहे है। क्यों न मैं उनको अपने हाथ से खाना खिला दूँ। मैंने पुड़ी का एक कौर तोड़ा और सब्जी में डुबोया और ससुर जी को खिलाने लगी। वो संकोच कर रहे थे।
“क्या पापा जी! आप तो लड़कियों की तरह शरमा रहे है। अब अपनी बहू से कैसी शर्म” मैंने बिंदास लड़की की तरह चहक कर कहा और उनको खाना खिलाने लगी। पर दूसरी बार मेरा हाथ उसके मुंह में अंदर चला गया और जल्दबाजी में उन्होने मेरी ऊँगली को काट दिया।
“अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी लग गयी” मैं चिल्लाई.
ससुर जी ने जल्दी से मेरी ऊँगली मुंह में दबा ली और चूसने लगे। जिससे मुझे आराम मिल सके। कुछ देर में मुझे आराम मिलने लगा। पर वो चूसते ही चले गये। फिर मुझे देखकर रुक गये और मेरी तरफ दूसरी नजर से देखने लगे। मैं भी उनको ही देख रही थी। कुछ अजीब अब होने वाला था।
फिर अचानक उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठे बैठे ही पकड़ लिया और मेरे होठ पर अपने होठ रख दिए। जल्दी जल्दी चूसने लगे और मुझे कुछ सोचने का मौक़ा नही दिया। मैं मना कर रही थी पर तब तक बहुत देर हो गयी थी। ससुर जी से 5 मिनट तक मेरे रसीले होठ चूस डाले। फिर अपना मुंह मेरे मुंह से हटाया। वो मुझे चोदना चाहते थे मैं जान गयी थी।
आगे के 15 मिनट कैसे गुजरे मुझे याद नही है। पापा ने मुझे गोद में उठा लिया और सीधा अपने बेडरूम की तरह बढ़ने लगे। मैं चुप थी। मैं सोच नही पा रही थी की क्या करू। उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया और जल्दी से अपनी शर्ट की बटन खोलकर शर्ट उतारकर फेंक दी। वो मेरे उपर लेट गये और जल्दी जल्दी मेरे गालों पर किस करने लगे। “Sasur Bahu Antarvasna”
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मैं परेशान थी। मैं बहुत हैरान थी। पर ना जाने क्यों मैंने उनको मना नही किया। मैं चाहती तो ससुर जी को रोक सकती थी। पर शायद इस काली सुनसान रात में चुदाई के मजे लूटना चाहती थी। ससुर जी से मेरी साड़ी का पल्लू मेरे ब्लाउस से हटा दिया और मुझे बाहों में भर लिया।
मेरे ब्लाउस पर वो हाथ घुमाने लगे। वो आज मेरी जवानी और खूबसूरती के आशिक हो गये थे। मैं पूरी तरह से नई दुल्हन की तरह सजी धजी थी और ससुर जी आप मेरे पति का रोल निभा रहे थे। वो मेरे गाल, गले, काम, चेहरे सब जगह किस कर रहे थे। मैं भी साथ दे रही थी।
“बहु!! आज तुमने करवाचौथ की पूजा मेरे साथ की है। छन्नी में तुमने मेरा चेहरा देखा है। तो आज मुझसे प्यार करके तुम अपने व्रत को पूरा कर दो” ससुर जी बोले.
“….तो क्या आप चाहते है की मैं आपको अपनी रसीली चूत चोदने क दे दूँ” मैंने हांफते हुए और लम्बी लम्बी सांसे खीचते हुए कहा.
“हा बहू!! मैं बिलकुल यही चाहता हूँ। तुम्हारा पति वहां कोलकाता में अपनी सेक्रेटरी के साथ मजे लूट रहा होगा और तुम यहाँ पर प्यासी रह जाओ। ये तो सरासर गलत है। बोलो बहू क्या ख्याल है?
ससुर जी से चमकती आँखों से इस तरह से पूछा की मैं मना नही करपाई। मैंने हां में सिर हिला दिया। उसके बाद तो ससुर जी शुरू हो गये। मेरे बड़े बड़े कसे कसे मम्मो को ब्लाउस के उपर से लप्प लप्प करके दबाने लगे। मैं “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” करने लगी। ससुर जी मुझे प्यार करने लगे। “Sasur Bahu Antarvasna”
ब्लाउस के अंदर से जितना दूध दिख रहा था उस पर चुम्बन की बारिश करने लगे। मैं भी गर्म होने लगी। मुझे मजा आने लगा। फिर से उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह पर रख दिया और फिर से मेरे रसीले को काट काटकर किस करने लगे।
अब मैं गर्म हो गयी थी। मेरे अंदर की वासना भी अब जाग गयी थी। मैं भी अब ससुर जी से चुदना चाहती थी। वो अपने दोनों हाथो को गोल गोल मेरे ब्लाउस पर घुमा रहे थे। दबा दबाकर मजा लूट रहे थे।
“प्यार करो पापा जी!! आज मुझसे खुलकर प्यार करो” उतेज्जना में मैंने कह दिया.
वो मेरे ब्लाउस की बटन ढूढने लगे और खोलने लगे। पर शायद वो बहुत जल्दी में थे। बस जल्दी से मुझे चोद लेना चाहते थे। जोश में आकर उन्होंने बटन खोलनी शुरू की पर बहुत देर लग रही थी। ससुर जी ने मेरे ब्लाउस को बीच से दोनों हाथो से पकड़ा और जोर से खीचा। ब्लाउस फट गया।
लाल ब्रा में मेरी कसी कसी 38” की रसेदार चूचियों के दर्शन ससुर जी को होने लगे। ब्रा के उपर से वो मेरे कबूतर सहलाने लगे और दबाने लगे। “आह बहू!! तुम तो बहुत खूबसूरत हो” वो बोले और फिर ब्रा को दोनों हाथ से पकड़कर फाड़ दिया और दूर फेंक दिया।
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अब मैं उपर से नंगी हो गयी थी। पापा जी वासना में आकर मेरे मम्मो के दर्शन करने लगे। आपको बता दूँ की मेरी चूचियां बेहद सुंदर थी। कसी कसी गोल गोल बड़ी बड़ी। संगमरमर जैसी चिकनी। ससुर जी की आँखें वासना में चमक उठी। मेरे दोनों दूध पर रख दिया और सहलाने लगे।
मैंने आँखे बंद कर ली और “……अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….”करने लगी। वो मेरे उपर ले लेट गये और मम्मो के बीच में अपना चेहरा रखकर खेलने लगे। मेरे दूध किसी गेंद की तरह बड़े बड़े और बेहद सॉफ्ट थे। ससुर जी हाथ से मेरी गेंद को दबाने लगे। मुझे भी अच्छा लग रहा था। “Sasur Bahu Antarvasna”
फिर वो पूरी तरह से मेरी जवानी के दीवाने हो गये। मेरी दोनों गेंद से खेलने लगे और मेरे क्लीवेज (मम्मो के बीच के गड्ढे) में अपना मुंह अंदर डालने लगे। जल्दी जल्दी अपना चेहरा इधर उधर करने लगे जिससे मेरे दूध उसके मुंह से जल्दी जल्दी टकरा रहे थे। मेरी तो चूत से नदी ही बहने लगी। मेरी चूत से पानी निकलने लगा।
“आह पापा जी!! आज रात के लिए मैं आपकी औरत हूँ। आज चोद लो मुझे आप। ले लो मजा मेरी भरी जवानी का” मैंने भी नशे में कह दिया. उसके बाद वो जल्दी जल्दी मेरे कबूतर हाथ से मसलने लगे और दबाने लगे। आटे की तरह गूथ रहे थे मेरी दोनों चूचियों को। फिर मुंह में लेकर चूसने लगे।
मैं तो “…..ही ही ही……अ अ अ अ .अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह….. उ उ उ…”करने लगी। क्यूंकि मुझे भी अच्छा लग रहा था। कितने महीनो से मेरा पति ऋतुराज घर नही आया था। तो आज ससुर जी ही उसकी जगह उसका कर्तव्य निभा रहे थे। वो मेरी लेफ्ट साइड वाली चूची को मुंह में अंदर तक ठूस कर जल्दी जल्दी चूस रहे थे। पीये जा रहे थे।
मेरे जिस्म में अब चुदाई वाली आग लग रही थी। ससुर जी तो रुक ही नही रहे थे। बस जल्दी जल्दी चूसते ही जा रहे थे। कामुकता में आकर मैंने उनके सिर के बाल पकड़ लिया और अपनी उँगलियों से पकड़कर नोचने लगी। मैंने 2 चांटे भी उनको गाल पर मार दिए। वो समझ गये की बहुत अब गर्म हो रही है। चूत तो अब जरुर देगी।
ससुर जी ने 15 से 20 मिनट मेरी चूचियों का रस चूसा। खूब मुंह चलाकर पिया। इसी गरमा गर्मी में उन्होंने मेरी चूची की उभरी हुई गद्देदार निपल्स को कई बार दांत से पकड़कर उपर की तरह खींच खीच चूसा जिससे मुझे दर्द हुआ। पर मजा भी खूब मिला। मेरे दोनों बूब्स पर उनके दांत के निशान बन गये। “Sasur Bahu Antarvasna”
“चोदिये पापा जी!! आज करवाचौथ है। आज मैं आपको बीबी हूँ। पति धर्म आज निभा दीजिये। आज चोद लीजिये मुझको” मैंने कहने लगी.
ससुर जी ने अपनी पेंट उतार दी और अंडरवियर भी उतार दिया। उन्होंने अपने हाथो से आज मेरा द्रौपदी की तरह चीर हरड कर दिया। मेरी साड़ी उन्होंने ही मेरी कमर से खोली और उतार दी। मैंने लाल रंग का साड़ी से मैच करता पेटीकोट पहना था। ससुर जी ने अपने मुंह से मेरे पेटीकोट का नारा खोला और उतार दी।
मेरी पेंटी मेरे ही चूत के रस से भीग गयी थी। ससुर जी उसे निकालने लगे तो घुटनों पर पेंटी फस गयी। फिर उन्होंने हाथ घुमाकर उसे उतार दिया। मैं झेप गयी। अपने चेहरे को अपने दोनों हाथो से मैंने जल्दी से छुपा लिया क्यूंकि आज मैं ससुर जी के साथ हमबिस्तर होने जा रही थी। उसने चुदने जा रही थी।
ससुर जी पागल हो गये। मेरी जांघे और पैर बहुत सुंदर थे। गोरे गोरे और कमाल के चिकने। वो मुझे प्यार करने लगे। मेरे पैरो को हाथ से टच करने लगे। फिर मेरे पैर खोल दिए। 2 सेकंड ससुर जी से रस से पूरी तरह से तर और भीगी चूत के दर्शन करने लगे फिर तो ऐसा मेरी चूत पर टूट पड़े जैसे रबड़ी को देखकर बिल्ली उस पर टूट पड़ती है।
लेटकर अपना मुंह मेरी चूत पर उन्होंने टिका दिया और जल्दी जल्दी चूत की चटनी पीने लगे। कामुकता के नशे में आकर मैं “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”की कामुक आवाजे निकाल रही थी। मेरी आँखे बंद थी। मैं ससुर जी से नजरे नही मिला पा रही थी। वो जल्दी जल्दी मेरी तर चूत को रबड़ी की तरह चाट रहे थे।
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मेरी खूबसूरत चुद्दी गुलाबी रंग की थी। अब तो मुझे दोहरा नशा मिल रहा था। वो अपनी जीभ मेरी चूत के छेद में डाल रहे थे। मैं अभी भी अपने चेहरे को अपने हाथो से छुपा रही थी। कितना मजा लुट रही थी मैं। ससुर ने 10 मिनट मेरी चुद्दी चाटी। अंत में लंड चूत पर सेट कर दिया और जोर का धक्का दिया। “Sasur Bahu Antarvasna”
लंड 4” अंदर घुस गया। मुझे दर्द हो रहा था। फिर ससुर जी ने एक जोर का धक्का फिर से दिया। अब उनका 8” लंड पूरा अंदर घुस गया। मैं दर्द से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..”बोलकर चिल्ला पड़ी। मैंने अपने हाथ अपने चेहरे से हटा दिए और उनको मुंह पर मुक्के मारने लगी।
ससुर जी भी असली मर्द के बच्चे थे। उन्होंने बड़ी ताकत से मेरे दोनों हाथ कसके पकड़ लिए और बिस्तर पर रख दिये। मेरी नाजुक कलाई पकड़कर उन्होंने चुदाई स्टार्ट कर दी। मुझे धका धक पेलने लगे। आज पुरे 3 महीनो बाद मैं चुद रही थी क्यूंकि मेरा पति ऋतुराज घर ही नही आया था। इस वजह से मेरी चूत का रास्ता बंद हो गया था।
पर आज मेरे मर्दाना मिजाज वाले ससुर जी मुझे पेल रहे थे। वो कमर उठा उठाकर मुझे चोद रहे थे। मैं लम्बी सांसे ले रही थी। मेरे दूध हिल रहे थे। उपर नीचे डांस कर रहे थे। ससुर जी सिर्फ मेरी चूत की तरह देखकर पेल रहे थे। मैं मर रही थी। 15 मिनट बिता तो चूत रंवा हो गयी। अब ससुर जी का लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा। दिल खोलकर चुदी है। फिर हाँफते हांफते ससुर जी से मुझे 10 मिनट और चोदा। फिर उनका चेहरा ढीला पड़ गया। मेरी चूत में गर्म गर्म माल उन्होंने छोड़ दिया। मेरे उपर को थक कर गिर गये। मैंने उनके होठ फिर से चूमने लगी।